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नोटबंदी भाग 2

प्रिय भारतवासियों, नोटबंदी भाग 2 की घोषणा हो चुकी है। जिस उद्देश्य के लिये नोटबंदी थोपी गई थी वह केन्द्र के अनुसार पूर्ण हो चुका है। अर्थात जिस काले धन के लिये नोटबंदी की गई थी वह कालाधन सरकार के पास आ चुका है। बस थोड़ी सी प्रतीक्षा की व धैर्य दिखाने की जरूरत है जिसमें आप पारंगत हैं। बहुत जल्दी ही आपको सरकारी कारिंदे 10-15 लाख रूपये घर-घर बाँटते दृष्टिगोचर होंगे। अब केन्द्र सरकार दावे के साथ कह सकेगी कि हम सिर्फ जुमलेबाजी ही नहीं करते हैं बल्कि काला धन सचमुच में देश हित में खपा भी सकते हैं। जब तक आपको 10-15 लाख नहीं मिलते हैं तब तक आपको बताया जा चुका है कि आपको क्या करना है। आप तो बस केन्द्र सरकार या सीधा यूँ कहें कि वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा सुझाये गये उपाय करते रहिये आपका जीवन सफल होगा उदाहरणार्थ :- पकौड़े तलकर बेचना, चाय बेचना, गैस की जरूरत पड़े तो बेझिझक गंदे नाले में पाइप डालकर गैस बनाना इत्यादि। अगर ज्यादा समय लगे तो लगे हाथ चार साल सेना में घूमकर आ जाइये। आम के आम और गुठलियों के दाम। जब तक आप सेना से वापस आ जायेंगे तब तक आपके घर काला धन भी वितरित कर दिया
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राजा विद्रोही सरकार सेना व शत्रु - 1971 का युद्ध

यह कहानी आपसी विश्वास, मानवीय ह्रदय परिवर्तन व मातृभूमि के लिये अपने आपसी मतभेद भूलकर एकजुट होकर शत्रु को पराजित करने की है। जैसा आप फिल्मों में भी देखते हैं। इस कहानी के मुख्य पात्र एक राजा व एक विद्रोही हैं। लेखक ने बड़े ही सजीवता पूर्ण तरीके घटना का चित्रण किया है। आप स्वयं को एक किरदार की तरह कहानी में उपस्थित पायेंगे।  एक राजा था एक विद्रोही था।  दोनों ने बंदूक उठाई –  एक ने सरकार की बंदूक।  एक ने विद्रोह की बंदूक।। एक की छाती पर सेना के चमकीले पदक सजते थे।। दूसरे की छाती पर डकैत के कारतूस।।  युद्ध भी दोनों ने साथ-साथ लड़ा था। लेकिन किसके लिए ?  देश के लिए अपनी मिट्टी के लिये, अपने लोगों के लिए मैंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि "म्हारा दरबार राजी सूं सेना में गया और एक रिपयो तनखा लेता" इस कहानी के पहले किरदार हैं जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह राजावत जो आजादी के बाद सवाई मान सिंह द्वितीय के उत्तराधिकारी हुए। दूसरा किरदार है, उस दौर का खूँखार डकैत बलवंत सिंह बाखासर। स्वतंत्रता के बाद जब रियासतों और ठिकानों का विलय हुआ तो सरकार से विद्रोह कर सैकड़ों राजपूत विद्रोही

प्रचलित प्रसिद्ध शब्दों के अर्थ व उद्गम स्थलों की जानकारी

आज आपको कुछ शब्दों के उद्गम व अर्थ बता रहा हूँ। इनमें से 80% का मुझे पहले से पता था 20% के बारे में आज ही जाना है सोचा लगे हाथ आपको भी घोटकर पिला दूँ।  1. सैंडविच शब्द से कौन अवगत नहीं है ? अमूमन दो चीजों के बीच में कुछ आ जाये या ब्रेड के टुकड़ों के बीच में कुछ खाद्य सामग्री रखी हो तो ऐसी वस्तु या परिस्थिति को सैंडविच कह सकते हैं। वास्तव में सैंडविच एक जगह का नाम है जो कि ब्रिटेन के केंट में है। सैंडविच में एक अर्ल (एक शाही पदवी) हुए थे जिनका नाम जॉन मोंटेग था। अर्ल ने अपने नौकरों को खाद्य सामग्री ब्रेड के बीच में डालकर परोसने को कह रखा था। कारण हाथ साफ रहना व जुआ खेलने में सहूलियत ताकि हाथ चिकने होकर कार्ड खराब भी न हों व समय की व्यस्तता अर्थात फटाफट खाना ताकि अन्य गतिविधियां भी बाधित न हो। कालान्तर में यह तरीका मित्रों से होकर आमजन को रास आ गया। मैंने यह काफी वर्षों पहले पढा था।  2. ब्रिटेन के बिस्कुट जिन्हें कुकी भी कहा जाता है। एक कुकी है मोंटे कार्लो। यह नाम भी इसी नाम के एक शहर पर है जो कि मोनाको में है। खास बात यह है कि यह भी इटालवी लहजे का शब्द है जबकि सही नाम मोंटे चार्ल्स है

एकमात्र आप व आपका मस्तिष्क ही भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता

क्या एकमात्र आप व आपका मस्तिष्क ही भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिये अधिकृत हैं ?  नहीं समझे ? चलिये सविस्तार बताता हूँ। अगर आपको एक भारतीय व भारतीयता संस्कृति व सभ्यता की कल्पना करने को कहा जाये तो आपके मानस पटल पर क्या छवि उभर कर सामने आयेगी ? मैं बताता हूँ। रंग गेहुंआ, लम्बाई 5 से 6 फीट, पुरूष के लिए वस्त्र पैंट, शर्ट, स्त्री के लिए धोती, ब्लाउज, गहने नाक, पाँव, हाथ व गले के आभूषण व लम्बे बाल। शादी की बात की जाये तो दुल्हे का घोड़ी पर बैठना, नाचना-गाना, खाना खाना, फेरे व दहेज के साथ विदाई। एक पति व पत्नी की सात जन्मों की कामना। अन्य दिनों में घर पर खाने की बात की जाये तो रोटी-सब्जी, दूध-दही व मीठा। परमगति हो जाये तो राम-नाम सत्य के साथ जला देना बच्चा व साधू है तो दफना देना। विद्यालय में जाना व पढना। बड़े होकर नौकरी या व्यवसाय करना। बच्चों से इज्जत की आशा व सुखद बुढापा। कुछ अपसकुन मानना। भगवा कपड़े पहनने वाले हिन्दू साधू को पूजना व मन्दिरों में चक्कर लगाना। गाँव के हैं तो पशुपालन या खेती। चौपाल पर चर्चा करते लोग। पुरातन समृद्ध संस्कृति व सभ्यता का बखान। अपनी जातीय महानता का दंभपूर्ण

जब दिखावे ने देश को दासता के दलदल में धकेल दिया

आज मैं आपको तीन कहानियाँ बताता हूँ। 1.एक बार एक राजा था वह गुप्तभजनान्दी था। राजा मन ही मन में प्रभु स्मरण किया करता था। उसके मुँह से कभी किसी ने ईश्वर का नाम नहीं सुना। यहाँ तक कि उसके दरबारियों, कर्मचारियों, अधिकारियों व रानी ने भी कभी राजा को भजन करते, सत्संग में जाते, मंदिर में जाते नहीं देखा। रानी कई बार शिकायत भी किया करती थी कि आप हमेशा राज-काज में ही उलझे रहते हैं कभी ईश्वर की भक्ति के लिये भी समय निकाला कीजिये। राजा हँसकर बात टाल दिया करता था। एक दिन अर्द्धरात्रि का समय था। राजा सो रहा था। रानी अभी भी जग रही थी। अचानक राजा के मुख से राम शब्द निद्रा में निकल गया। रानी पहले तो बड़ी अचम्भित हुयी। फिर बड़ी ही प्रसन्न हुयी कि चलो निद्रित अवस्था में ही सही इतने वर्षों में एक बार ही सही; ईश्वर का नाम तो निकला। रानी ने इस मौके को मनाने के लिये अपने सेवकों को वाद्ययंत्र बजाने का आदेश दिया। अर्द्धरात्रि के समय में अचानक स्वर लहरियां सुनकर राजा अचकचा कर जग गया। राजा ने सोचा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राजप्रासाद में असमय वाद्ययंत्र बज उठे। राजा ने रानी से इसका कारण जानना चाहा। रानी ने बताया

दो दानी एक ज्ञानी

जो कहूँगा सच कहूँगा सच के सिवाय कुछ नहीं कहूँगा। 😁😁😜😜 जी हाँ, दानी 2 तरह के होते हैं। 1. प्रथम श्रेणी के दानी ऐसे व्यक्ति होते हैं जो दान देने के बाद उसका कोई हिसाब-किताब नहीं रखते। (हालाँकि सरकारें हमेशा से ही इस मत के विरोध में रहती हैं।😁) ऐसे दानी एक बार धन या सम्पदा दान करने के बाद वापस नहीं लेते। ऐसे लोग अपना नाम लिखवाना भी पसन्द नहीं करते। किसी अन्य से अपने दान की कभी चर्चा भी नहीं करते। इनसे दान लेने वाला अगर कलाकार हो तो कितना भी दान ले सकता है। इनमें से कई निस्पृह भाव से दान देते हैं तो कई धार्मिक मतान्ध भी होते हैं। ऐसे दानियों में कई बिना भेदभाव के किसी को भी दान दे देते हैं जबकि कई लोग कुछ धर्म विशेष या संगठन विशेष को ही दान देते हैं। कई बार इनका दान सृजन लाता है तो कई बार विध्वंस को भी न्यौता देता है, उसका भी कारक बनता है। उदाहरणत: विद्यालयों, चिकित्सालयों, धार्मिक स्थलों, व सामाजिक संगठनों को दिया गया दान सकारात्मक बदलाव ला सकता है। लेकिन आतंकी संगठनों को वित्त पोषण सर्वदा विध्वंस ही लेकर आयेगा। नरसंहार व अराजकता का ही माध्यम बनेगा। आपको एक रोचक कथा बताता हूँ। एक बार

डेटिंग एप के धोखेबाज (स्कैमर्स) किस तरह धोखा देते हैं ?

जी हां, आज हम बात करने जा रहे हैं डेटिंग स्कैम्स के बारे में जो शायद आप नहीं जानते होंगे।  मैं उन बातों को अन्त में लिखूँगा ताकि आप सभी घोटालों को स्पष्ट रूप से समझ सकें।  कैसे पहचानें कि जिसे आप पसंद कर रहे हैं या बात कर रहे हैं वह धोखेबाज है या नहीं।  यह काफी कठिन काम है लेकिन इसको पकड़ने के कुछ आसान उपाय हैं:-  1. बिना प्रोफ़ाइल चित्र वाला खाता (हमेशा बचें) 2. खाते में जानवर या फूल या मशहूर हस्तियों के चित्र होना (पसंद न करें , वास्तविक भी लगे तो भी पसन्द न करें)  3. अकाउंट में फोटो पर अगर व्हाट्सएप नंबर स्पष्ट रूप से लिखा है तो इससे भी बचें।  कई लोग अपना व्हाट्सएप नंबर अपने परिचय में लिखते हैं। आप उन्हें पसंद कर सकते हैं लेकिन उनमें से भी सभी वास्तविक नहीं होते हैं।  4. अगर परिचय में केवल एक लाइन लिखी हुई है ''नो टाइम वेस्टर्स'' इसका अर्थ है कि जिसका खाता है वह सिर्फ पैसे या शारीरिक संबंध के पीछे  है और खुद एक स्कैमर (धोखेबाज या घोटालेबाज) है।   5. कुछ स्कैमर्स सीधे गिफ्ट वाउचर, मोबाइल रिचार्ज आदि के रूप में पैसे की मांग करते हैं।  6. कुछ स्कैमर्स आप जो पूछते हैं उस